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Download Vaibhav Laxmi Vrat Katha PDF – वैभव लक्ष्मी व्रत कथा free Download at Multiple Sources.
Published Date | May 6, 2022 |
Category | Religion & Spirituality |
Page Count | 25 |
PDF File Size | 0.37 MB |
File Language | Hindi |
Original File Source | Multiple Sources |
श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा Hindi PDF
हैलो दोस्तों, आज हम आपके लिए लेकर आये हैं श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा PDF हिन्दी भाषा में। अगर आप श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको देंगे श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक।
हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी के अनेक रूपों की पूजा की जाती है। कोई इन्हें धनलक्ष्मी तो कोई इन्हें वैभव लक्ष्मी के रूप में पूजता है। कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति वैभव लक्ष्मी का व्रत पूजन हर शुक्रवार को कता है तो उसकी हर मनोकामना माता शीघ्र पूरी करती हैं। इस व्रत को घर का कोई भी सदस्य कर सकता है। यहां तक की कोई भी पुरुष इस व्रत का पालन कर सकता है। इस व्रत को उत्तम फल देने वाला भी कहा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है और माता लक्ष्मी सदैव उनकी रक्षा करती हैं।
वैभव लक्ष्मी व्रत सात, ग्यारह या इक्कीस, जितने भी शुक्रवारों की मन्नत मांगी हो, उतने शुक्रवार तक यह व्रत पूरी श्रद्धा तथा भावना के साथ करना चाहिए। आखिरी शुक्रवार को इसका शास्त्रीय विधि के अनुसार उद्यापन करना चाहिए। आखिरी शुक्रवार को प्रसाद के लिए खीर बनानी चाहिए। जिस प्रकार हर शुक्रवार को हम पूजन करते हैं, वैसे ही करना चाहिए। पूजन के बाद मां के सामने एक श्रीफल फोड़ें फिर कम से कम सात कुंआरी कन्याओं या सौभाग्यशाली स्त्रियों को कुमकुम का तिलक लगाकर मां वैभवलक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक की एक-एक प्रति उपहार में देनी चाहिए और सबको खीर का प्रसाद देना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मीजी को श्रद्धा सहित प्रणाम करना चाहिए। फिर माताजी के ‘धनलक्ष्मी स्वरूप’ की छबि को वंदन करके भाव से मन ही मन प्रार्थना करें- ‘हे मां धनलक्ष्मी! मैंने आपका ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ करने की मन्नत मानी थी, वह व्रत आज पूर्ण किया है। हे मां हमारी (जो मनोकामना हो वह बोले) मनोकामना पूर्ण करें। हमारी हर विपत्ति दूर करो। हमारा सबका कल्याण करो। जिसे संतान न हो, उसे संतान देना। सौभाग्यवती स्त्री का सौभाग्य अखंड रखना। कुंआरी लड़की को मनभावन पति देना। जो आपका यह चमत्कारी वैभवलक्ष्मी व्रत करे, उनकी सब विपत्ति दूर करना। सभी को सुखी करना। हे मां आपकी महिमा अपार है।’ आपकी जय हो! ऐसा बोलकर लक्ष्मीजी के ‘धनलक्ष्मी स्वरूप’ की छबि को प्रणाम करें।
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